Me aur meri maa.......

 एक छोटा बच्चा  था जो उम्मीदों से पला ,
कोई शख़्स था जो संग उसके हमेशा रहा ,
उसको ऊँगली पकड़कर चलाता रहा ,
होठों पर मुस्कानें जो लाता रहा!!!!!

"वो कहता था उसे गम को तुम गोली मारो,
वो मै था और मेरी माँ थी यारो"  

  जब मै धूप में था  तब वो छाँव बन गयी,
माँ तो मेरी ज़िंद और जान बन गयी,
खुद भूखी रही पर मुझको खाना खिलाया ,
रातों को मुझे लोरी गा के सुलाया!!!!

"मेरी माँ की गोद में सिमटे सारे फूल और बहारो,
वो मै था और मेरी माँ थी यारो"

मगर एक दिन मेरी मुस्कान छिन गयी,
मेरी माँ मुझे छोड जिस दिन गयी,
पतझड़ के पत्तों की तरह टूटा मेरा हर रोम,
वो जहां से गयी मैं खड़ा था वहीं!!!!

"किस कदर मैंने खुद को संभाला है यारो,
वो मै था और मेरी माँ थी यारो"

जब सूरज की धूप को बादलों में छिपते देखा,
जब आंसुओं के झरने को आंखों से बहते देखा,
तब माँ से दूर होने का दर्द समझ पाया,
जब खुद को इस ज़िदगी से मुंह मोड़ते मैने देखा!!!!!!

"अब मेरी भी सुनो एे माँ के दुलारो,
वो मै था और मेरी माँ थी यारो"

न जाने कहाँ है वो गोद तेरी,
 जिस में सर रखकर सोया करता था मैं,
न जाने कहाँ है वो आँचल तेरा,
जिस से आकर आंसू पोंछा करता था मैं,
याद है मुझे कि मैं भी तेरा ही हिस्सा हूँ,
पर न जाने कहाँ हैं तेरे वो सवाल,
जिनका खुद से जवाब अब भी पूछा करता हूँ मैं!!!!

"अब न लोट कर आना मेरी ज़िदगी के सहारो,
वो मै था और मेरी माँ थी यारो"

अब तो माँ बस मेरे ख्वाबों में रहती है,
हर पल मुझ पर अपना साया बनाती है,
भूल होती मुझसे तो मुझे माँफ़ करती,
मुझे खुद पर भरोसा करना सिखाती है!!!!!

"याद आती हैं उसकी वो बातें हज़ारों,
वो मै था और मेरी माँ थी यारो....
वो मै था और मेरी माँ थी यारो".....

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