अहबाब
मेरे हर गम में दस्तियाब था वो....
कोई सुनहरा सा ख़्वाब था वो....
जिसने फिर से मुझको मैं बना दिया,
मेरा सबसे करीबी अहबाब था वो....
मुझमे रहता बेहिसाब था वो....
मेरी आदत ख़राब था वो....
मुझसे अक्सर मेरे लिए लड़ता था,
मेरा सबसे करीबी अहबाब था वो....
ज़िन्दगी में हीरा कोई नायाब था वो....
संग उसका एक नशा था,कोई शराब था वो....
मेरी आँखों में दिल देख लेता था मेरा,
मेरा सबसे करीबी अहबाब था वो....
काँटों के बीच में गुलाब था वो....
आंसुओं के अँधेरे में आफताब था वो....
न जाने कैसे वो इतना ख़ास हो गया,
मेरा सबसे करीबी अहबाब था वो....
ख्वाहिशों की चेनाब था वो....
हर्फ़ की मुफ़लिसी में अज़ाब था वो....
जिसकी आँखों में मुझको गम ग़वारा नहीं,
मेरा सबसे करीबी अहबाब था वो....
Comments
Post a Comment